HC के अपने ही आदेशों को वापस लेने के मामले में कानून बनाएगी सुप्रीम कोर्ट, समझिए पूरी बात

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह खुली अदालतों में हाई कोर्ट के अपने ही आदेशों को कैंसिल किए जाने के मुद्दे पर कानून बनाएगा। कोर्ट के सामने एक ऐसा मामला आया है जिसमें मद्रास हाई कोर्ट ने एक पूर्व आईपीएस अधिकारी के खिलाफ धनशोधन के मामले को रद्द कर दिया था और बाद में अपने निर्देश को संशोधित करते हुए मामले की फिर से सुनवाई की थी।

जस्टिस अभय एस. ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने तमिलनाडु हाउसिंग बोर्ड के एक भूखंड के कथित अवैध आवंटन के सिलसिले में पूर्व आईपीएस अधिकारी एम. एस. जाफर सैत के खिलाफ दर्ज धनशोधन मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 नवंबर की तारीख तय की है।

कोर्ट पूर्व अधिकारी सैत की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। उन्होंने दलील दी थी कि मामले में कार्यवाही रद्द करने की उनकी याचिका स्वीकार करने के कुछ दिनों के भीतर मामले की फिर से सुनवाई की गई। सुप्रीम कोर्ट ने पहले इस मुद्दे पर मद्रास हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की रिपोर्ट का 30 सितंबर को निरीक्षण किया था और सैत के मामले को फिर से सुनवाई करने के हाई कोर्ट के फैसले को ‘बिल्कुल गलत’ बताया था।

एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन तमाम याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें एससी/एसटी के सब क्लासिफिकेशन मामले में दिए गए फैसले को रिव्यू करने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य सरकार एससी/एसटी में सब क्लासिफिकेशन करने का अधिकार रखती है।

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