- जज ने दोषी को दरिंदा, पिशाच और भेड़िया बताया
हरदोई। जनपद के सांडी थाना क्षेत्र के एक गांव में तीन साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी को फांसी की सजा सुनाए जाने के दौरान अपर जिला जज ने न सिर्फ लिखित बल्कि मौखिक तौर पर भी गंभीर टिप्पणी की। अपर जिला जज मोहम्मद नसीम ने कहा कि सगी भतीजी के साथ ऐसा व्यहवार इंसान के रूप में एस वहशी जानवर ही कर सकता है।
उन्होंने लिखा कि भारतीय सांस्कृति के समाज को ऐसे पैशाचिक व्यक्ति की आवश्यकता नहीं है और इस प्रवृत्ति के व्यक्ति को समाज में रहने का कोई अधिकारी नहीं है। अपर जिला जज ने कहा कि अगर अभियुक्त ने हत्या की होती तो शायद सजा कुछ और होती, लेकिन जो अपराध उसने किया है उसमें बच्ची की हत्या हर पल और हर दिन होती है। उन्होंने अपने फैसले में दोषी जैसे लोगों को समाज में रहने के लायक न होने की टिप्पणी भी की। फांसी की सजा सुनाने के बाद जज ने कलम तोड़ दी।
अपर जिला जज मोहम्मद नसीम ने फांसी की सजा सुनाए जाने के दौरान दुष्कर्म पीड़िता की हालत भी बयां की। फैसले के मुताबिक दुष्कर्म के कारण बच्ची के मल और मूत्र के रास्ते में कोई अंतर नहीं रह गया था। इसके कारण बच्ची को मल और मूत्र त्याग करने के लिए अलग जगह शरीर में बनानी पड़ी और तब उसकी जान की रक्षा हो पाई। उन्होंने लिखा है कि भारतीय संस्कृति के समाज को ऐसे पैशाचिक व्यक्ति की आवश्यकता नहीं है और इस प्रवृत्ति के व्यक्ति को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है।
पीड़िता की उम्र घटना के समय तीन साल थी। उसकी लंबाई महज तीन फीट थी। वजन सिर्फ 13 किलो था, लेकिन फिर भी अभियुक्त को शर्म नहीं आई। हवस के लिए उसने बच्ची की उम्र, रिश्ते का भी लिहाज नहीं किया।
तो न्याय प्रणाली पर लग जाएगा गंभीर प्रश्नचिह्न… न बेटियां बचेंगी न सुरक्षित जी सकेंगी
किसी ने अभियुक्त से नहीं की मुलाकात
घटना के बाद से जिला जेल में बंद दोषी से जेल में जाकर किसी भी परिजन ने कोई मुलाकात नहीं की। उसकी पैरवी भी नहीं हो रही थी। हालांकि उसके लिए शासन ने न्याय मित्र के तौर पर वरिष्ठ अधिवक्ता रामेंद्र सिंह तोमर को लगाया था। फैसला सुनाए जाने के दौरान सोमवार को पीड़ित पक्ष से कोई नहीं आया। दरअसल घटना के कुछ समय बाद से ही पीड़िता अपने माता-पिता के साथ फरीदाबाद में जाकर रहने लगी थी। वहीं पीड़िता के माता-पिता मजदूरी करते हैं।