Encounter: मुख्तार का शार्प शूटर पंकज यादव मथुरा में हुआ ढेर

  • एक लाख के इनामी बदमाश की एसटीएफ से हुई मुठभेड़

मथुरा। एसटीएफ के साथ मथुरा में आज सुबह हुई मुठभेड़ में मुख्तार अंसारी गैंग के शार्प शूटर पंकज यादव ढेर हो गया। मऊ के रहने वाले पंकज पर एक लाख का इनाम था। काफी वक्त से फरार था। यह मुठभेड़ बुधवार सुबह 4 बजे मथुरा-आगरा हाइवे पर फरहा थाना क्षेत्र में हुई।

कुख्यात अपराधी पंकज यादव उर्फ नखड़ू पुत्र राम प्रवेश यादव निवासी ताहिरापुर, रानीपुर, मऊ के ऊपर दो दर्जन से अधिक हत्या एवं अन्य संगीन मुकदमे दर्ज थे। पंकज यादव पर मऊ के चर्चित मन्ना सिंह हत्याकांड के गवाह रामसिंह और उनकी सुरक्षा में चल रहे आरक्षी सतीश कुमार की हत्या का आरोप है।

पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि पंकज अपने एक साथी के साथ बाइक से आगरा की तरफ जा रहा है। इस सूचना पर एसटीएफ ने घेराबंदी की तो वह गांव की तरफ भागने लगा और फायरिंग शुरू कर दी। एसटीएफ ने भी जवाबी फायरिंग की। इसमें पकंज को तीन गोलियां लगीं। एक गोली उसके पैर में, दूसरी कमर पर और तीसरी गोली सिर पर लगी है। वहीं, उसका साथी अंधेरे का फायदा उठाकर भागने में कामयाब रहा। उसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दी जा रही है। पंकज के पास से एक पिस्टल, रिवॉल्वर, कारतूस और बाइक बरामद की गई है।

कॉन्ट्रैक्ट किलर था पंकज यादव

एसटीएफ के मुताबिक, पंकज मुख्तार अंसारी और बिहार के माफिया शहाबुद्दीन और अन्य गिरोहों के लिए भाड़े पर हत्या करने वाला कॉन्ट्रैक्ट किलर था। वह मऊ जिले के थाना रानीपुर के गांव तहिरापुर का रहने वाला था। पंकज पर यूपी पुलिस ने एक लाख का इनाम घोषित था।

काफी लंबे समय से फरार था पंकज

गौरतलब है कि 29 अगस्त 2009 को मऊ की शहर कोतवाली इलाके में बदमाशों ने ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह उर्फ मन्ना सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी। ठेकेदार मन्ना सिंह हत्याकांड में 16 गवाह थे। इस हत्याकांड के गवाहों की एक-एक कर हत्या की जा रही थी। उनकी जान के खतरे को देखते हुए पुलिसकर्मी दिए गए थे। 19 मार्च 2010 को मन्ना सिंह हत्याकांड में गवाह राम सिंह मौर्य और सुरक्षाकर्मी सतीश सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। आरोप मुख्तार अंसारी गैंग पर लगे थे। इस केस में पंकज यादव आरोपी था। घटना के बाद से वह फरार था। पूरे प्रकरण में पुलिस ने उस वक्त सदर विधायक रहे मुख्तार अंसारी सहित 11 के चार्जशीट दाखिल की थी। हालांकि, बाद में मुख्तार अंसारी को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त करार दिया था।

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