शहर के नामचीन उद्योगपति शारदा एक्सपोर्ट के मालिक आदित्य गुप्ता और आशीष गुप्ता के प्रतिष्ठानों पर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने मंगलवार सुबह एक साथ छापा मारा। साकेत स्थित आवास, रिठानी में ऑफिस और गगोल रोड की फैक्टरी पर सुबह साढ़े सात बजे टीम पहुंची। देर शाम तक टीम जांच करती रही। स्थानीय स्तर पर टीम ने कोई जानकारी साझा नहीं की।
उद्योगपति आदित्य गुप्ता और आशीष गुप्ता का साकेत में बंगला नंबर 192-ए है। उनका परिवार दिल्ली के हौजखास इलाके में रहता है। उनका कारपेट, फर्नीचर और रियल स्टेट का बड़ा कारोबार है। शारदा एक्सपोर्ट कई देशों में कारपेट और फर्नीचर निर्यात करती है। आदित्य गुप्ता और आशीष गुप्ता ने नोएडा में क्लाउड नाइन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से रियल एस्टेट कंपनी की स्थापना की थी।
कंपनी ने सेक्टर-137 में ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट लांच करने के लिए नोएडा विकास प्राधिकरण से जमीन ली थी। कंपनी पर नोएडा प्राधिकरण का 65.73 करोड़ रुपये बकाया है। उसकी आरसी जारी हुई थी और जुलाई 2019 में आशीष गुप्ता जेल गए थे, जबकि आदित्य गुप्ता फरार हो गए थे। इस कंपनी में लोगों से बड़ी धनराशि वसूलने के बाद उन्हें फ्लैट नहीं दिए गए। यह रकम दूसरी कंपनियों में हस्तांतरित कर दी गई।
मार्च 2024 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ईडी को कंपनी के प्रमोटरों की जांच के आदेश दिए थे। ईडी के एक अधिकारी ने बताया कि नोएडा और मेरठ में आदित्य और आशीष के छह प्रतिष्ठानों में एक साथ कार्रवाई की जा रही है। सुबह साढ़े सात बजे ईडी की टीम उनके मेरठ के साकेत स्थित आवास पर पहुंची। दो गाड़ियों में आठ अफसर थे। उसी समय रिठानी स्थित आफिस में टीम ने छापा मारा। साथ ही एक टीम गगोल रोड स्थित फैक्टरी पहुंची। तीनों टीमों ने जांच शुरू कर दी। गेट के बाहर सीआरपीएफ के जवान तैनात कर दिए गए। बाद में स्थानीय पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जानकारी ली।
कोर्ट ने माना था घोर अनियमितताएं हुईं
इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मार्च 2024 में माना था कि कंपनी के प्रमोटरों ने घोर अनियमितताएं की हैं। न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) ने कंपनी की अनियमितताओं पर आंखें बंद रखीं और पट्टा रद्द नहीं किया। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को इस अनियमितता में शामिल कंपनी के निदेशकों और प्रमोटरों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 के तहत कार्रवाई करने का निर्देश दिए थे। उन कंपनियों और संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश था, जिनमें क्लाउड नाइन का पैसा लगाया गया। कोर्ट ने पाया कि क्लाउड नाइन के निदेशकों और प्रमोटरों का इरादा नोएडा के साथ-साथ घर खरीदने वालों को धोखा देने का था। आशीष गुप्ता और उनके परिवार के पास क्लाउड नाइन में 70% शेयर सीधे या कंपनियों के माध्यम से थे। कोर्ट ने कहा कि वह परियोजना में सक्रिय रूप से शामिल थे। धन इकट्ठा कर रहे थे और उसे अन्य कंपनियों को हस्तांतरित कर रहे थे। इस्तीफा देकर निदेशक खुद को बचाने की कोशिश की।
शारदा एक्सपोर्ट के मालिक अशीष गुप्ता साल 2019 में जेल जा चुके हैं। जबकि उनके भाई आदित्य गुप्ता उस मामले में फरार हो गए थे। इनका साकेत में बंगला नंबर 192-ए है। परिवार दिल्ली के हौजखास इलाके में रहता है। शारदा एक्सपोर्ट कई देशों में कारपेट और फर्नीचर निर्यात करती है। आदित्य गुप्ता और आशीष गुप्ता ने नोएडा में क्लाउड नाइन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से रियल एस्टेट कंपनी की स्थापना की थी।
कंपनी ने सेक्टर-137 में ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट लांच करने के लिए नोएडा विकास प्राधिकरण से जमीन ली थी। कंपनी पर नोएडा प्राधिकरण का 65.73 करोड़ रुपये बकाया है। उसकी आरसी जारी हुई थी और जुलाई 2019 में आशीष गुप्ता जेल गए थे, जबकि आदित्य गुप्ता फरार हो गए थे। इस कंपनी में लोगों से बड़ी धनराशि वसूलने के बाद उन्हें फ्लैट नहीं दिए गए। यह रकम दूसरी कंपनियों में हस्तांतरित कर दी गई। मार्च 2024 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ईडी को कंपनी के प्रमोटरों की जांच के आदेश दिए थे।
माना जा रहा है कि ईडी की कार्रवाई का उससे कोई ना कोई कनेक्शन है। दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मार्च 2024 में माना था कि कंपनी के प्रमोटरों ने घोर अनियमितताएं की हैं। न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) ने कंपनी की अनियमितताओं पर आंखें बंद रखीं और पट्टा रद्द नहीं किया। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को इस अनियमितता में शामिल कंपनी के निदेशकों और प्रमोटरों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 के तहत कार्रवाई करने का निर्देश दिए थे। उन कंपनियों और संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश था,