Supreme Court: दुष्कर्म व हत्या के दोषी की फांसी पर रोक

  • कोर्ट ने जेल से मांगी मनोवैज्ञानिक रिपोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने लॉ स्टूडेंट के साथ यौन उत्पीड़न करने के बाद हत्या करने वाले दोषी की फांसी की सजा पर अपील पर फैसला होने तक रोक लगाई है। गौरतलब है कि केरल उच्च न्यायालय ने अप्रैल 2016 में घटना के समय 22 वर्षीय प्रवासी मजदूर मुहम्मद अमीर-उल-इस्लाम को दी गई मौत की सजा को बरकरार रखा था।

सुप्रीमकोर्ट में न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केरल उच्च न्यायालय के 20 मई के फैसले को चुनौती देने वाली दोषी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, दोषी 28 अप्रैल 2016 को पीड़िता के घर में दुष्कर्म करने के इरादे से घुसा था और जब पीड़िता ने इसका विरोध किया तो उस पर चाकू से हमला किया, जिसके बाद पीड़िता घायल हो गई। चाकू लगने पीड़िता की मौत हो गई। इसके बाद दोषी अगले दिन असम भाग गया। इसके बाद 2016 के जून महीने में उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

दोषी के आचरण के संबंध में जेल तैयार करे रिपोर्ट: कोर्ट

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि केंद्रीय कारागार और सुधार गृह, वियूर के जेल अधीक्षक, जेल में रहते हुए अपीलकर्ता द्वारा किए गए कार्य की प्रकृति और जेल में रहते हुए उसके आचरण और व्यवहार के संबंध में एक रिपोर्ट आठ सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करें।

वहीं, सरकारी मेडिकल कॉलेज, त्रिशूर अपीलकर्ता का मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन करने के लिए एक टीम का गठन करे और मूल्यांकन रिपोर्ट आठ सप्ताह के भीतर पेश करे। शीर्ष न्यायालय अब 12 सप्ताह बाद मामले पर सुनवाई करेगा।

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