Hathras Accident: हमेशा सूट-बूट में रहता है साकार हरि बाबा

  • तीन राज्यों में हैं अनुयायी, सत्संग में मानव सेवा का देता है संदेश

हाथरस। हाथरस में मंगलवार को बड़ा हादसा हो गया। यहां साकार हरि बाबा का एक दिवसीय सत्संग चल रहा था। वहां पर बच्चों के साथ महिलाएं और पुरुष बाबा का प्रवचन सुन रहे थे। लगभग पौने दो बजे सत्संग खत्म हुआ, बाबा के अनुयायी बाहर सड़क की ओर जाने लगे। तभी भगदड़ मच गई। हादसे में अब तक 130 लोगों की मौत की खबर है। इस बड़े हादसे के बाद हर शख्स यह जानना चाहता है कि आखिर कथावाचक साकार हरि बाबा उर्फ भोले बाबा कौन है, जिसके सत्संग में इतनी ज्यादा तादाद में अनुयायी पहुंचे हुए थे।

आइए जानते हैं कथावाचक बाबा साकार हरि भोले बाबा के बारे में-

जानकारी के मुताबिक साकार हरि बाबा उर्फ भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है। करीब 17 साल पहले पुलिस कांस्टेबल की नौकरी छोड़कर सत्संग करने लगे। नौकरी छोड़ने के बाद सूरज पाल नाम बदलकर साकार हरि बन गया। अनुयायी उसे भोले बाबा कहते हैं। कहा जाता है कि गरीब और वंचित तबके के लोगों के बीच में इनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। कुछ समय में लाखों की संख्या में अनुयायियों बन गए। उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश और राजस्थान में अनुयायी फैले हैं।

मानव सेवा का देता है संदेश

साकार हरि बाबा अपने सत्संग में मानव सेवा का संदेश देता है। सत्संग में लोगों से बाबा कहता है कि मानव की सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है। सबसे बड़ी शिक्षा है। सत्संग में आने वाले लोगों से कहता है यहां रोग मिट जाते हैं, मन शुद्ध होता है, यहां पर कोई भेदभाव नहीं कोई दान नहीं कोई पाखंड नहीं यही सर्व समभाव है यहीं ब्रह्मलोक है, यहीं स्वर्ग लोक है।

बाबा के बारे में कुछ लोग कहते हैं कि ये यूपी पुलिस में दरोगा हुआ करते थे। कुछ इन्हें आईबी से जुड़ा भी बताते हैं। इसीलिए बताया जाता है कि बाबा पुलिस के तौर-तरीकों से परिचत हैं। वर्दी धारी स्वयंसेकों की लंबी-चौड़ी फौज खड़ी करने में यह काफी मददगार साबित हुआ। बाबा आम साधु-संतों की तरह गेरुआ वस्त्र नहीं पहनता। बहुधा वह महंगे गॉगल, सफेद पैंटशर्ट पहनता है। अपने प्रवचनों में बाबा पाखंड का विरोध भी करते हैं। चूंकि बाबा के शिष्यों में बड़ी संख्या में समाज के हाशिए वाले, गरीब, दलित, दबे-कुचले लोग शामिल हैं। उन्हें बाबा का पहनावा और यह रूप बड़ा लुभाता है।

बाबा के सत्संगों में बड़ी संख्या में जुटते हैं। बाबा के शिष्य अपनी ही मस्ती में रहते हैं। यही वजह है कि मीडिया से भी ये लोग दूरी बरतते हैं। दरअसल, बाबा के सत्संग के तौर-तरीके चूंकि आम संतों से अलग होते हैं लिहाजा ये लोग नहीं चाहते कि इस पर किसी प्रकार की टीका-टिप्पणी हो।

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