दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से अच्छी बारिश देखी जा रही है। बारिश के मौसम में दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर बेहद कम हो जाता है। प्रदूषक कण पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में तो कमी आई है, लेकिन राजधानी के कुछ इलाकों की हवा में ओजोन का स्तर बढ़ा हुआ दर्ज किया जा रहा है। दिल्ली की हवा में प्रदूषण के स्तर पर नजर रखने वाली पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की संस्था सफर की रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार (18 सितंबर) को मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम के आसपास के इलाके में हवा में ओजोन का स्तर 101 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया। यह 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
वैज्ञानिकों के मुताबिक कुछ समय पहले तक गर्मियों में ही ओजोन के स्तर में बढ़ोतरी देखी जाती थी। लेकिन देश के कई हिस्सों में ये अब पूरे साल की समस्या बन गया है। हवा में ओजोन की मात्रा ज्यादा होने से हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है। इससे दिल की बीमारी का भी खतरा बढ़ता है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की हाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के कई शहरों में ओजोन स्तर में चिंताजनक वृद्धि हुई है। इस साल गर्मियों में भारत के दस प्रमुख शहरों में ओजोन खतरनाक स्तर तक बढ़ गया। इनमें दिल्ली सबसे ज्यादा प्रभावित हुई। एयर क्वालिटी ट्रैकर एन इनविजिबल थ्रेट नाम से आई इस रिपोर्ट में प्रमुख रूप से दिल्ली, एनसीआर, बेंगलुरु, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, पुणे, ग्रेटर अहमदाबाद, ग्रेटर हैदराबाद, ग्रेटर जयपुर और ग्रेटर लखनऊ में ओजोन के स्तर का विश्लेषण किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक इन शहरों में अप्रैल से जुलाई की तुलना में जनवरी से मार्च के बीच ओजोन के स्तर में अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई। अहमदाबाद में पिछले साल की तुलना में ओजोन के स्तर में 4000 गुना बढ़ोतरी हुई है। वहीं पुणे में 500 और जयपुर में 152 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
सीएसई में वायु प्रदूषण पर लम्बे समय से काम कर रहे डॉक्टर विवेक चटोपाध्याय कहते हैं कि हमने अपने अध्ययन में पाया कि पहले जहां ओजोन के प्रदूषण की समस्या सिर्फ गर्मियों में होती थी, वहीं अब ये पूरे साल की समस्या बन गई है। खास तौर पर दक्षिण और पश्चिमी तटीय महानगरीय इलाकों में ये समस्या काफी बढ़ चुकी है। सामान्य तौर पर जब सूरज की रौशनी हो, गर्मी ज्यादा हो और गाड़ियों के धुएं का प्रदूषण हवा में मौजूद हो तो ही ओजोन के प्रदूषण में वृद्धि देखी जाती है। लेकिन हमने अध्ययन में पाया कि महानगरों में सूर्यास्त के बाद भी हवा में ओजोन का स्तर बढ़ा हुआ रहता है। ओजोन के प्रदूषण की खास बात ये है कि ये गैस के रूप में होती है। ऐसे में दिल्ली का ओजोन प्रदूषण हवा के साथ आसपास के ऐसे इलाके में पहुंच सकता है जहां प्रदूषण का कोई स्रोत न हो। ऐसे में इसके प्रदूषण की चपेट में काफी बड़े इलाके के लोग आ जाते हैं।
ओजोन के प्रभाव के चलते पौधे की पत्तियों में बनने वाली बहुत सी ऊर्जा नष्ट हो जाती है। साथ ही पत्तों में टिशू को भी नुकसान पहुंचता है। हमें पर्यावरण को बेहतर बनाने के साथ ही आने वाले समय के लिए ज्यादा रेजिस्टेंस वाली प्रजातियों का विकास करने की जरूरत है।